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मेरुपर्वत
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mountain
Meanings: 7; in Dictionaries: 4
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मेरु पर्वत
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ମେରୁପର୍ବତ
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মেরুপর্বত
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ਮੇਰੂਪਰਬਤ
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મેરુપર્વત
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മേരു പർവ്വതം
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mount
Meanings: 27; in Dictionaries: 7
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மேருமலை
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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हेमांग
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मेरुदेवी
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मेरुसावर्णि , मेरुसावर्ण
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धर्मसिंधु - होमप्रकरण
हिंदूंचे ऐहिक, धार्मिक, नैतिक अशा विषयात नियंत्रण करावे आणि त्यांना इह-परलोकी सुखाची प्राप्ती व्हावी ह्याच अत्यंत उदात्त हेतूने प्रेरित होउन श्री. काशीनाथशास्त्री उपाध्याय यांनी ’धर्मसिंधु’ हा ग्रंथ रचला आहे. This 'Dharmasindhu' grantha was written by Pt. Kashinathashastree Upadhyay, in the year 1790-91.
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नवविधाभक्तिनाम - ॥ समास दसवां - मुक्तिचतुष्टये नाम ॥
‘हरिकथा’ ब्रह्मांड को भेदकर पार ले जाने की क्षमता इसमें है ।
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मेरु
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६८
Meanings: 4; in Dictionaries: 4
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संकेत कोश - संख्या ६८
हिंदू धर्मात असे अनेक संकेत आहेत ,जे आपल्या जीवनात मोलाचे कार्य बजावतात .
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द्वितीय पटल - तत्त्वज्ञानोपदेश १
महायोगी आदिनाथ श्रीमहादेव विरचित " शिवसंहिता " हा ग्रंथ देवी पार्वतीने
विचारलेले प्रश्न व त्या प्रश्नांना श्रीशिवांनी दिलेली उत्तरे या
प्रश्नोत्तरांच्या रूपाने अवतरित झाला आहे.
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मत्स्यपुराणम् - अध्यायः १७४
मत्स्य पुराणात सात कल्पांचे वर्णन असून हे पुराण नृसिंह वर्णनापासून सुरू होते.
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मिश्रितप्रकरणम् - श्लोक १ ते १४
अनुष्ठानप्रकाश , गौडियश्राद्धप्रकाश , जलाशयोत्सर्गप्रकाश , नित्यकर्मप्रयोगमाला , व्रतोद्यानप्रकाश , संस्कारप्रकाश हे सुद्धां ग्रंथ मुहूर्तासाठी अभासता येतात .
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निगम
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पुष्कल
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तृप्तिदीप - श्लोक १२१ ते १४०
'सार्थपंचदश्याम्' या ग्रंथात श्रीशंकराचार्यांनी मानवाच्या आयुष्यातील तत्वज्ञान सोप्या भाषेत विशद केले आहे.
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श्रीविष्णुपुराण - द्वितीय अंश - अध्याय १
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
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श्रीमांगीशमहात्म्य - अध्याय सातवा
श्रीमांगीशमहात्म्य
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अथ क्रियापादः - सकललक्षणविधिपटलः
सुप्रभेदागमः म्हणजे शिल्पशास्त्र ह्या विषयावरील महत्वपूर्ण ग्रंथ.
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सिद्धसिद्धांन्तसंग्रह - तृतीयोपदेश
काशीचे पण्डित बलभद्र यांनी १८व्या शतकाच्या शेवटी सिद्ध-सिद्धांत पद्धति ग्रंथ संक्षिप्त करून सिद्ध सिद्धांत संग्रह नामक ग्रंथ लिहीला होता.
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सुप्रभेदागमः - सकललक्षणविधिपटलः
प्रस्तुत ग्रंथ शके १८३६ यावर्षी कै. गुरूभक्त व्यंकटरमणा मच्छावार यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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श्रीविष्णुपुराण - द्वितीय अंश - अध्याय २
भारतीय जीवन-धारा में पुराणों का महत्वपूर्ण स्थान है, पुराण भक्ति ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। जो मनुष्य भक्ति और आदर के साथ विष्णु पुराण को पढते और सुनते है,वे दोनों यहां मनोवांछित भोग भोगकर विष्णुलोक में जाते है।
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हिरण्यकशिपु
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मूळस्तंभ - अध्याय ६
‘ मूळस्तंभ ’ पोथी म्हणजे शिव- पार्वती संवादरूपातील शिवपुराणावरील शोधनिबंध आहे.
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करवीर माहात्म्य - खंड २
करवीरे माहात्म्य पोथीचे पठन केल्याने साक्षात महालक्ष्मीची कृपा होते.
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कथाकल्पतरू - स्तबक ७ - अध्याय ११
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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कथाकल्पतरू - स्तबक ४ - अध्याय १४
'कथा कल्पतरू' या ग्रंथात चार वेद, सहा शास्त्रे, अठरा पुराणे, तसेच रामायण, महाभारत व श्रीमद्भागवत हे हिंदू धर्मिय वाङमय ओवीरूपाने वर्णिलेले आहे.
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श्री दत्तप्रबोध - अध्याय पंचवीसावा
श्री अनंतसुत विठ्ठल उर्फ कावडीबाबा विरचित ’श्री दत्तप्रबोध’ ग्रंथाचे पारायण केल्याने ’गुरुचरित्र’ पारायणाचे पुण्य मिळते.
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श्रीसिध्दान्तबोध - अध्याय २४ वा
‘श्रीसिध्दान्तबोध’ हा संतकवि श्रीशहामुनि यांचा ग्रंथ म्हणजे मराठी साहित्याच्या खाणींतील एक तेजस्वी हिरा आहे.
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कुबेर
Meanings: 25; in Dictionaries: 11
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हनुमत् , हनूमत्
Meanings: 24; in Dictionaries: 1
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रुद्र-शिव
Meanings: 35; in Dictionaries: 1
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समओवी ज्ञानेश्वरी - अध्याय पंधरावा
ज्ञानेश्वरी, अमृतानुभव आणि चांगदेव पासष्टी या तिन्ही ग्रंथांतून काव्य आणि तत्वज्ञान संत ज्ञानेश्वर आपल्या विलक्षण भाषासौंदर्याने मराठी माणसाला विस्तारून सांगतात.
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युधिष्ठिर
Meanings: 65; in Dictionaries: 9
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